पहले तो अपने

पहले तो अपने दिल की रज़ा जान जाइए
फिर जो निगाह-ए-यार कहे मान जाइए
पहले मिजाज़-ए-राहगुजर जान जाइए
फिर गर्द-ए-राह जो भी कहे मान जाइए
कुछ कह रहीं हैं आपके सीने की धड़कनें
मेरी सुनें तो दिल का कहा मान जाइए
इक धूप सी जमी है निगाहों के आसपास
ये आप हैं तो आप पे कुर्बान जाइए
शायद हुजूर से कोई निस्बत हमें भी हो
आँखों में झांककर हमें पहचान जाइए

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