तुझसे मेरा रिश्ता क्या है,मालूम तो नहीँ मगर,
तेरे लिए दुआ माँगना, अच्छा लगता है..
मेरे कितने पास कितने दूर है तू क्या पता मगर,
मुझे तुझे धड़कनो मेँ बसाना अच्छा लगता है..
तू कितना अपना कितना गैर है क्या पता मुझे ऐ अजनबी
मगर तेरा मुझसे रिश्ता पूछना अच्छा लगता है..
प्यार है या नफरत ये जानूँ कैसे, सामने झगड़ना तुझसे,
फिर तूझे ही मनाना मुझे अच्छा लगता है..
तेरे उजालो को देख खुश होना..
तेरे अंधेरोँ मेँ हाथ ना छोड़ना.. मुझे अच्छा लगता है...
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