ले चला जान मेरी

ले चला जान मेरी रूठ के जाना तेरा
ऐसे आने से तो बेहतर था न आना तेरा।
तू जो ऐ ज़ुल्फ़ परेशान रहा करती है
किसके उजड़े हुए दिल में है ठिकाना तेरा।
अपनी आँखों में अभी कौंध गयी बिजली-सी
हम न समझे कि ये आना है कि जाना तेरा।
तू ख़ुदा तो नहीं ऐ नासिह नादाँ मेरा
क्या ख़ता की जो कहा मैंने ना माना तेरा।

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