अभी दर्द उठेगा तेरे

अभी दर्द उठेगा तेरे आने से, अभी सर्द हो जाएंगी निगाहें
और एक आग तड़प उठेगी सीने को हौले-हौले जलाती हुई
तुम हथेलियों में हिज्र का चराग़ लेकर आओगी चुपके से
अपनी सूरत को लाल चुनर की घूंघट में हया से छुपाती हुई

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